मोटे अनाज के सेवन से सैनिकों का मनोबल और ताकत बढ़ेगी
केंद्र सरकार एवं राज्य सरकारें अपने अपने स्तर से मोटे अनाज को प्रोत्साहन देने के लिए मिलेट्स कार्यक्रम का आयोजन कर रही हैं। इसके पीछे एक मुख्य वजह यह है, कि आज के दौर में परंपरागत और पौष्टिक आहार बिल्कुल विलुप्त होते जा रहे हैं। इनको खानपान में एक नवीन स्थान देने के लिए कई सारी पहल की जा रही है। भारतीय सेना में भी इसका इस्तेमाल होना शुरू हो गया है। क्योंकि इसके अंदर प्रोटीन के अतिरिक्त विभिन्न प्रकार के पोषक तत्व भरपूर मात्रा में विघमान होते हैं। साथ ही, फाइटोकेमिकल्स का यह एक उत्तम स्रोत भी होता है। यदि सेना के जवान इससे निर्मित भोजन का सेवन करेंगे तो सैनिक स्वस्थ रहेंगे। भारतीय सेना ने बताया है, कि "मोटे अनाज हमारे देश का पारंपरिक भोजन है। यह हमारे देश के भौगोलिक और जलवायु परिस्थितियों के अनुकूल है। ऐसे में इसके सेवन से जवानों के अंदर रोग प्रतिरोध क्षमता बढ़ जाएगी। इससे जवान बीमार भी कम पड़ेंगे। साथ ही सैनिकों का मनोबल भी बढ़ेगा। बयान में ये भी कहा गया है, कि आने वाले दिनों में मोटा अनाज धीरे- धीरे दैनिक भोजन बन जाएगा।"
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मोटे अनाज से निर्मित खाद्य पदार्थों को कैंटीन में भी रखा जाएगा
भारतीय सेना ने जवानों से आग्रह किया है, कि वह घरेलू खाद्यान पदार्थों में भी मोटे अनाज से निर्मित भोजन का इस्तेमाल जरूर करें। इसी कड़ी में सेना की कैंटीनों में मोटा अनाज रखने का आदेश भी दिया गया है। साथ ही, सेना के रसोइयों को भी मोटे अनाज के उपयोग से स्वादिष्ट व्यंजन बनाने हेतु विशेष प्रशिक्षण दिया जा रहा है। जबकि, नॉदर्न बॉडर पर कार्यररत सैनिकों हेतु मोटे अनाज से निर्मित खाद्य पदार्थों एवं स्नैक्स पर अधिक ध्यान दिया जा रहा है। जिसके लिए सीएसडी कैंटीन के जरिये से मोटे अनाज द्वारा निर्मित खाद्य पदार्थों को प्रस्तुत किया जा रहा है।
मोटे अनाजों के उत्पादन से होगी पानी की बचत
बतादें, कि भारत सरकार के कहने के अनुसार संयुक्त राष्ट्र द्वारा 2023 को मोटा अनाज वर्ष घोषित किया है। बतादें कि पीएम मोदी विगत कई वर्षों से कहते आ रहे हैं कि किसानों की आय दोगुनी करेंगे। इसीलिए केंद्र सरकार किसानों की आय बढ़ाने के उद्देश्य से मोटे अनाज की खेती को प्रोत्साहन दे रही है। इसके लिए केंद्र सरकार ने ‘श्री अन्न’ नामक एक योजना भी जारी करदी है। सरकार का कहना है, कि मोटे अनाज की खेती के जरिए काफी हद तक पानी की बचत होगी। इसकी वजह मोटे अनाज की खेती में सिंचाई की बहुत कम आवश्यता है। तो वहीं लोगों को पौष्टिक आहार भी खाने के लिए मिल पाएगा।
सामान्य दिनों की बात की जाए तो टमाटर का भाव बाजार में 250 से 350 रुपये प्रति कैरेट होता है। टमाटर बेचकर ही किसान साल भर में लाखों रुपये की आमदनी कर सकते हैं। साथ ही, आप धनिया, पालक, मिर्च की खेती करेंगे और बेचेंगे तो ये भी काफी शानदार मुनाफा आपको देकर जाऐंगी। आजकल बागवानी फसलों के अंतर्गत पारंपरिक फसलों की तुलना में अधिक आमदनी हो रही है।
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धनिया-पालक के उत्पादन से होगा अच्छा-खासा मुनाफा
कृषक भाई इन सभी सब्जियों की बुवाई एक ही खेत में कर सकते हैं। इन सब्जियों को ज्यादा जगह की आवश्यकता नहीं होती है। इन सब्जियों से अच्छी आमदनी करने के लिए किसान भाई खेत की मेड़ों पर धनिया, पालक लगा सकते हैं। वहीं, मेड़ की दूसरी तरफ किसान टमाटर और मिर्च की खेती भी कर सकते हैं।
किसान भाई इन सब्जियों की भी पैदावार कर सकते हैं
आपकी जानकारी के लिए बतादें, कि बेहतरीन आय करने के लिए किसान भाई मेड़ों के अतिरिक्त भी खेतों के बीच में भी कई फसलें उगा सकते हैं। किसान भाई यहां पर भिंडी,आलू, फूलगोभी और करेला उगा सकते हैं। ये समस्त सब्जियां बाजार में अच्छी कीमतों पर बिकती रहती हैं। अगर किसान यहां बताई गई समस्त बातों का अनुसरण करते हैं, तो वह शानदार आमदनी अर्जित कर सकते हैं।
इसी कड़ी में अब हरियाणा सरकार ने भी ड्रिप और स्प्रिंकलर सिंचाई पद्धति को बढ़ावा देने और रिचार्जिंग बोरवेल मुहैय्या कराने हेतु किसान भाइयों को सब्सिड़ी दी जा रही है। इस संबंध में सरकार का यह कहना है, कि हमारे इस प्रयास से जल संरक्षण एवं इसका संचयन करने में विशेष सहायता मदद प्राप्त होगी। साथ ही, यह घटते भूमिगत जल स्तर के संकट को भी दूर करने में सहायता करेगा।
किसानों को सूक्ष्म सिंचाई हेतु 85% अनुदान का प्रावधान
कृषि क्षेत्र में सिंचाई हेतु सर्वाधिक निर्भरता भूमिगत जल पर ही रहती है। जल की उपलब्धता को निरंतर स्थिर बनाए रखने के लिए जल की अधिक खपत वाली फसलों को हतोत्साहित किया जा रहा है। इसकी अपेक्षा बागवानी फसलों की कृषि को बढ़ावा दिया जा रहा है। साथ ही, सूक्ष्म सिंचाई मॉडल को प्रचलन में लाने के लिए किसानों को रीचार्जिंग बोरवेल पर सब्सिड़ी दी जा रही है। हिसार में आयोजित कृषि विकास मेले में हरियाणा के सीएम मनोहर लाल खट्टर ने कहा है, कि वर्तमान हालात को ध्यान में रखते हुए हमें जल की खपत को कम करने की आवश्यकता है। इसके लिए ड्रिप और स्प्रिंकलर सिंचाई को उपयोग में लाना होगा। क्योंकि यह किसानों के लिए सस्ता और सुविधाजनक होता है। साथ ही, राज्य सरकार सूक्ष्म सिंचाई को उपयोग में लाने के लिए किसान भाइयों को 85% अनुदान भी प्रदान कर रही है।
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1,000 रीचार्जिंग बोरवेल लगाने का लक्ष्य तय किया गया है
भारत में फिलहाल भूजल स्तर में आ रही गिरावट को पुनः ठीक करने के लिए वर्षा जल संचयन को भी प्रोत्साहन मिल रहा है। इसी संबंध में राज्य सरकार रीचार्जिंग बोरवेल के निर्माण की योजना बना रही हैं, जिसके माध्यम से वर्षा के जल को पुनः भूमि के अंदर पहुंचाया जा सके। इस कार्य हेतु किसान भाइयों को 25,000 रुपये खर्च करने पड़ेंगे। इसके अतिरिक्त जो भी खर्चा होगा उसको हरियाणा सरकार द्वारा वहन किया जाएगा।
इस तरह किसान आवेदन कर सकते हैं
हरियाणा सरकार द्वारा रीचार्जिंग बोरवेल पर आवेदन की प्रक्रिया को ऑनलाइन माध्यम से भी कर दिया गया है। अगर आप भी हरियाणा राज्य के किसान हैं और स्वयं के खेत में जल संचयन हेतु बोरवेल स्थापित कराना चाहते हैं, तब आप सिंचाई एवं जल संसाधन विभाग, हरियाणा की वेबसाइट hid.gov.in पर जाकर आवेदन किया जा सकता है। इसके बारे में विस्तृत रूप से जानकारी प्राप्त करने के लिए स्वयं के जनपद के कृषि विभाग के कार्यालय में भी संपर्क कर फायदा उठा सकते हैं।
इस योजना में किसानों को नकद पैसे न देकर क्रेडिट कार्ड पर लोन दिया जाता है। जिससे किसान खेती के लिए कृषि यंत्रों सहित अन्य जरूरी समान की खरीदी समय पर कर पाएं। नाबार्ड और रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के अंतर्गत आने वाले बैंक इस योजना के तहत किसानों को लोन मुहैया करवाते हैं। जो बेहद रियायती दरों पर होता है। इससे किसान साहूकारों और महाजनों के कर्ज के जाल में फंसने से बच जाते हैं।
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इस कार्ड के अंतर्गत लोन लेने के बाद किसान को एक साल के भीतर लोन चुकता करना होता है। लोन चुकता करने के लिए किसानों के साथ किसी भी तरह की जोर जबरदस्ती नहीं की जाती है।
इतने रुपये का मिलता है लोन
KCC के अंतर्गत बिना किसी गारंटी के 1 लाख रुपये तक का लोन मुहैया करवाया जाता है। इसके लिए किसान को बैंक में किसी भी प्रकार की जमानत नहीं रखनी होती है। इसके अलावा बैंक 5 साल के लिए 3 लाख रुपये का अल्पकालिक लोन भी देते हैं। इसके लिए किसान को बैंक में कुछ न कुछ जमानत रखनी होती है। क्रेडिट कार्ड जारी करने के 15 दिन के भीतर बैंक द्वारा लोन जारी कर दिया जाता है।
फसल बर्बाद होने पर किसानों को ऐसे मिलता है प्रोटेक्शन
जब बैंक किसानों को लोन जारी करता है तब सरकार के दिशानिर्देशों के अनुसार किसान की फसलों को इश्योरेंस कवरेज भी दिया जाता है। अगर किसान की फसल कीटों से प्रभावित होती है या किसी प्राकृतिक आपदा से प्रभावित होती है तो किसान अपना इश्योरेंस क्लेम कर सकता है। इन दिनों देश में प्राकृतिक आपदा के कारण बड़े स्तर पर फसलें प्रभावित हुई हैं। ऐसे में जिन भी किसानों ने KCC के माध्यम से लोन लिया होगा, वो बेहद आसानी से अपनी नष्ट हुई फसल के लिए इश्योरेंस क्लेम कर सकते हैं।
हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर की सरकार द्वारा भूमिगत जल स्तर को सुरक्षित करने हेतु ‘मेरा पानी मेरी विरासत’ योजना जारी की गई है। इस योजना के अंतर्गत राज्य सरकार धान के स्थान पर अन्य फसलों का उत्पादन करने के लिए किसानों को प्रेरित और प्रोत्साहित कर रही है। इससे भूमिगत जल स्तर को संरक्षित किया जा सके। विशेष बात यह है, कि धान के स्थान पर बाकी फसलों की खेती-किसानी करने वाले कृषकों को सरकार 7 हजार रुपये प्रति एकड़ के हिसाब से अनुदान भी प्रदान कर रही है।
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दरअसल, हरियाणा सरकार का कहना है, कि धान की खेती में अत्यधिक जल की आवश्यकता होने की वजह से जल का दोहन भी अधिक होता है। इसके स्थान पर मक्का, तिलहन, हरी सब्जी और दाल की खेती कर जल की खपत कम की जा सकती है। क्योंकि इन फसलों की खेती में बेहद न्यूनतम पानी की आवश्यकता होती है। इसके अतिरिक्त डीएसआर तकनीक द्वारा धान की खेती करने पर 4000 रुपये प्रति एकड़ के हिसाब से अनुदान प्रदान किया जाएगा।
हरियाणा सरकार ड्रिप इरिगेशन पर कितना अनुदान दे रही है
हरियाणा सरकार सतर्कता से जल संरक्षण हेतु विभिन्न प्रकार की योजनाएं चला रही है। सरकार की तरफ से ड्रिप इरिगेशन पर भी 80 प्रतिशत अनुदान दिया जा रहा है। इस विधि द्वारा फसलों की सिंचाई करने पर जल की बर्बादी बेहद कम होती है, क्योंकि बुंद-बुंद कर के पानी फसलों की जड़ों तक पहुंचता है। यदि किसान भाई बाकी फसलों का उत्पादन करते हैं, तब वह सरकारी अनुदान का फायदा प्राप्त कर सकते हैं।
यदि हम बात उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद की करें तो यहां पर बारिश के चलते हरी सब्जियों की खेती करने वाले किसान काफी दुखी नजर आ रहे हैं। खेत में पानी भर जाने की वजह से भिंड़ी, लौकी और खीरा समेत विभिन्न प्रकार की फसल बर्बाद हो गई। परंतु, सबसे ज्यादा हानि हरी मिर्च की खेती करने वाले किसानों को वहन करनी पड़ी है। किसानों का कहना है, कि इस साल हरी मिर्ची की फसल अच्छी हुई थी। ऐसे में उनको आशा थी कि हरी मिर्च बेचकर उन्हें अच्छी खासी आमदनी होगी। परंतु, बारिश ने उनके सारे सपनों चकनाचूर कर दिया।
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बागवानी फसलों को काफी हानि पहुंची है
यह कहा जा रहा है, कि जिले के मिर्च उत्पादक किसानों को बरसात की वजह से काफी हानि वहन करनी पड़ी है। वर्तमान में किसान फसल बर्बादी से हताश होकर सरकार के आगे मुआवजे की मांग कर रहे हैं। मुरादाबाद के देवापर के सैनी वाली मिलक में बारिश होने की वजह से कृषकों की कई लाख रूपए की हरी मिर्च की फसल चौपट हो गई है। इसी प्रकार शामली जनपद में भी बारिश के चलते टमाटर, लौकी, तोरी और हरी मिर्च की फसल चौपट हो गई है।
अधिकारियों को हानि का आँकलन करने के निर्देश दिए गए हैं
हिमाचल प्रदेश में भी मूसलाधार बारिश से किसानों को काफी ज्यादा नुकसान हुआ है। सोलन जनपद में कई हेक्टेयर में लगी सब्जियों की फसल बर्बाद हो गई। इससे सैकड़ों किसानों को लाखों रुपये की आर्थिक क्षति उठानी पड़ी है। ज्यादा बारिश से टमाटर और शिमला मिर्च की फसल खेतों में तैर गईं। साथ ही, पानी में निरंतर भिंगने के चलते टमाटर और शिमला मिर्च सड़ने भी लगे हैं। किसानों का कहना है, कि बारिश से जनपद में 30% फसल बर्बाद हो चुकी है। इसी कड़ी में किसानों की मांग पर नुकसान का आकलन करने के लिए अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं।
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किसानों को वर्ष भर में करोड़ों की हानि
बतादें, कि सोलन जनपद में 5800 हेक्टेयर में किसान टमाटर की खेती करते हैं। सोलन जनपद में टमाटर से वार्षिक 80 करोड़ रुपये का व्यवसाय होता है। उधर, इसी तरह यहां के किसान वर्ष में 26290 क्विंटल शिमला मिर्च की पैदावार करते हैं, जिसे बेचकर 41.20 करोड़ रुपये की आमदनी होती है। यदि बारिश से 30 प्रतिशत फसल बर्बाद हो जाती है, तो किसानों को करोड़ों रुपये की हानि हो सकती है।
पीएम किसान सम्मान निधि योजना के अंतर्गत किसान भाइयों को हर एक वर्ष सरकार की ओर से 6 हजार रुपये की आर्थिक सहायता प्रदान की जाती है। इस योजना के अंतर्गत किसानों के खातों में चार महीने के अंतराल पर दो-दो हजार रुपये भेजे जाते हैं।
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना
यह योजना किसानों के लिए सुरक्षा कवच के तौर पर कार्य करती है। योजना के तहत रबी एवं खरीफ की फसलों का बीमा किया जाता है। रबी की फसल के लिए डेढ़ प्रतिशत और खरीफ के लिए लागत का 2 प्रतिशत प्रीमियम भरना होता है। अत्यधिक हानि होने की स्थिति में किसान भाई योजना के अंतर्गत मुआवजा प्राप्त कर सकते हैं।
फसलों की बेहतरीन सिंचाई के लिए सरकार प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना चला रही है। योजना के अंतर्गत किसानों को ड्रिप सिंचाई और स्प्रिंकलर सिंचाई प्रणाली अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। किसानों को 90 प्रतिशत तक अनुदान प्रदान किया जाता है।
किसान क्रेडिट कार्ड
खेती के कार्यों के लिए किसान भाइयों को धन की आवश्यकता होती है। ऐसी स्थिति में उनके लिए किसान क्रेडिट कार्ड योजना चलाई जा रही है, जिसके अंतर्गत किसान भाई कम ब्याज पर 50,000 रुपये से लेकर 3 लाख रुपये तक का ऋण अर्जित कर सकते हैं। किसानों को 1,50,000 रुपये तक का ऋण बिना किसी गारंटी के ही प्रदान किया जाता है। इन योजनाओं के अतिरिक्त सॉइल हेल्थ कार्ड, राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन, कृषि अवसंरचना कोष, ई-नाम और राष्ट्रीय कृषि विकास योजना जैसी योजनाएं चलाई जा रहीं हैं।